स्थापना दिवस
मेघन मराठे-8 बी
इस साल बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल का 175 वां स्थापना दिवस था। आज के दिन हमारे विद्यालय में एक नया अध्याय शुरू हो गया। हमारे विद्यालय की तरफ से एक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इसकी सबसे ख़ास बात थी कि यह प्रदर्शन ऑनलाइन था। हमारे विद्यालय ऐसा पहली बार होने वाला था।
सारे विद्यार्थियों ने स्थापना दिवस के लिए एक मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किया इस प्रदर्शन में सभी छात्र -छात्राओं और उनके माता-पिता को भी आमंत्रित किया गया था प्रदर्शन में दिखाया गया था कि हमारे विद्यालय के दो बालक टाइम मशीन में फंँस गए थे उसके बाद दिखाया गया कि हमारे विद्यालय में अब तक कितने बदलाव आ चुके हैं। इस प्रदर्शन ने हमारे विद्यालय को एक नए मुकाम पर पहुंँचा दिया। हमारे विद्यालय की प्रतिष्ठा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। हर साल की तरह हमारे विद्यालय के पूर्व छात्रों ने अपने प्रेरणादायक अनुभवों से हमें परिचित करवाया। हम सभी छात्र -छात्राओं ने बड़ी उत्सुकता से उनके अनुभव सुने। छात्रों के लिए सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया था। मैं अपनी बहन के साथ वहाँ गई थी ।वे विद्यालय में बताएं मधुर क्षणों को अब तक नहीं भूल नहीं पाए हैं।
इस साल स्थापना दिवस के आयोजन में बड़ा आनंद आया ।दोस्तों के साथ बातचीत कर पाए और उनके साथ भी थोड़ा वक्त बिताया।
विद्यालय -जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा
पराज गर्ग- 8 एफ
आज से पूरे दो साल पहले कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में त्राहि-त्राहि मचा दी जिस कारण हमारा विद्यालय भी बंद हो गया। हम यह भी नहीं जानते थे कि कब लौटेंगे। पर ईश्वर की कृपा से उस कठिन दौर से हम सही सलामत बाहर आ गए।
स्कूल जाना एक आम बात लगती थी जिसे हम ज़्यादा अहमियत नहीं देते थे। परंतु जब स्कूल बंद हो गया तब हमें उसका असली महत्व समझ आया हालांकि हमारी अध्यापिकाओं ने दिन रात एक कर ऑनलाइन स्कूल को भी ऑफ़-लाइन जितना मज़ेदार बना दिया था। फिर भी हम विद्यार्थी दोबारा स्कूल जाने के लिए बहुत उत्सुक थे। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार वह सुनहरा दिन आ ही गया।
इतने दिनों के बाद स्कूल में पैर रखते ही शरीर में जान आ गई और ताज़ी शीतल हवा ने आत्मा को तृप्त कर दिया। दोस्तों और शिक्षकों से प्रत्यक्ष रूप से मिलना, स्कूल के माहौल का मज़ा लेना तथा विभिन्न वार्षिक प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनने के लिए हम तरस गए थे। हम सब ने n95 मास्क पहना हुआ था, हमने दो गज़ दूरी बनाकर रखी और स्कूल प्रांगण में जगह-जगह पर सैनिटाइज़र का प्रबंध किया गया था तथा सारे नियमों का पालन किया गया था।
स्कूलों के सही समय पर खुलने से हमें विद्यालय की एक सौ पचहत्तर वीं सालगिरह को धूमधाम से मनाने का अवसर प्राप्त हुआ। कई पुरानी यादें ताज़ा हो गईं और सोने पर सुहागा पढ़ाई में हमारा मन भी लगने लगा।
कंप्यूटर के सामने कई घंटों तक बैठने से हमें छुटकारा मिल गया ।
इन दो सालों में हमारी लिखावट का बुरा हाल हो गया था ।जल्दी हम नौवीं कक्षा में जाएंँगे और स्कूल में परीक्षाएंँ लिखने का अभ्यास होना अति आवश्यक है ।इसलिए अब हम सिर्फ ऑफ़ लाइन स्कूल ही जाएंँगे । इस बात की मुझे बेहद खुशी है।
मेरी प्रेरणा का स्रोत
अनाहिता गुप्ता- 8 एफ
मेरे अनुसार ज्ञान पैसों से भी मूल्यवान है और एक अच्छी शिक्षा के बिना हम जीवन में सफलता नहीं पा सकते हैं। अच्छी शिक्षा के लिए एक अच्छे विद्यालय में पढ़ना आवश्यक है। मैं अपने माता-पिता की हमेशा आभारी रहूंँगी कि उन्होंने मेरा दाखिला बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में करवाया। मुझे बहुत गर्व है कि मैं इस विद्यालय में पढ़ती हूंँ जिसने इस साल एक सौ पचहत्तर साल पूरे किए हैं। मेरे अनुसार बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल एक सौ पचहत्तर साल पुराना नहीं बल्कि एक सौ पचहत्तर साल नया है।
मुझे वह दिन आज भी याद है जब मैंने इस विद्यालय में अपना पहला कदम रखा था ।यह साल मेरा स्कूल में दसवां साल है और इस स्कूल में हर क्षण मैंने कुछ न कुछ सीखा है। तो आज अपने विद्यालय को धन्यवाद देते हुए मैं आपको बताना चाहती हूंँ कि इस विद्यालय ने मुझे क्या- क्या सिखाया।
स्कूल के पहले दिन ही मैंने मित्रों का महत्व समझा । वे हर मुश्किल को आसान बनाते हैं और हमारे जीवन को खुशियों से भर देते हैं। मेरी अध्यापिकाओं ने मुझे कई विषयों की शिक्षा दी, परिश्रम का मूल्य सिखाया और मुझे हमेशा सही मार्ग दिखाया।
मैं समझ पाई कि परिश्रम का फल हमेशा मीठा होता है इसके बिना हम जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते हैं। मैं जीवन भर अपने विद्यालय की आभारी रहूंँगी क्योंकि इस विद्यालय ने मुझे एक अच्छा, सच्चा और परिश्रमी मनुष्य बनने की प्रेरणा दी है।धन्यवाद।
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